भोपाल । एमपी के मंडला जिले में मृत कर्मचारी की मृत्यु के बाद करीब साढ़े 3 साल से उसके नाम से हर महीने सैलरी निकलती रही। ये रकम शिक्षा विभाग के ही एक कर्मचारी और उसकी पत्नी के खाते में जमा हो रही थी। यह मामला तब खुला जब भोपाल में बैठी एक तकनीकी टीम को शिक्षा विभाग में कुछ लेन देन संदिग्ध लगे और उन्होंने इसकी जांच जबलपुर के कोष एवं लेखा विभाग को सौंपी। 10 दिनों से जारी इस जांच में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई और एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। 
दरअसल यह मामला विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय निवास का है यहां पिछले 10 दिनों से जॉइंट डायरेक्टर (ट्रेजरी) की टीम कार्यालय द्वारा किये गए भुगतान के बिलों को खंगाल रही है। इस जांच में कई बड़ी गड़बड़ियां सामने आई हैं। यहां पिछले कई वर्षों से मृत कर्मचारियों के नाम से सैलरी व छात्रवृत्ति की राशि और बोर्ड को भेजी जाने वाली राशि के नाम पर बड़ा घोटाला हुआ है। इस घोटाले को कार्यालय में पदस्थ अस्थाई कर्मचारी कंप्यूटर ऑपरेटर सतीश बर्मन ने अंजाम दिया है। वही जांच अधिकारी रोहित सिंह कौशल संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा जबलपुर ने बताया कि सतीश बर्मन अगस्त 2020 में मृत एक सहायक शिक्षक के नाम पर सेलरी अपने और अपनी पत्नी के खाते में ट्रांसफर करता रहा। इस तरह उसने अपनी पत्नी के खाते में करीब 37 लाख रुपये ट्रांसफर किये। साथ ही एक अन्य रिश्तेदार के खाते में भी बड़ी रकम ट्रांसफर की। साथ ही छात्रवृत्ति की राशि का भुगतान शिक्षकों के खाते में किया गया व बोर्ड को भेजा जाने वाला संबद्धता शुल्क भी किसी अन्य खाते में ट्रांसफर किया और हाउस रेंट भी बढ़ा कर भुगतान किया गया। उन्होंने बताया कि अभी तक हम एक करोड़ तक पहुंच गए हैं। आगे जांच में यह राशि और भी बढ़ सकती है। ये गड़बड़ियां 2 बीईओ आनंद जैन और रामनारायण पटेल के कार्यकाल में हुई हैं। इनके लॉगिन पासवर्ड से ये सभी कुछ हुआ है।

शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा


बीईओ निवास कार्यालय में चल रही इस जांच से शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। परत दर परत मामले खुल रहे हैं और शासकीय धन का बंदरबांट करने वाले चेहरे बेनकाब हो रहे हैं। अभी तक संदिग्ध लेन देन वाले कई खाते सीज किये गए हैं। संभावना है कि जांच पूरी होने तक यह घोटाला और भी बड़ा हो सकता है और इसकी आंच कई सफेदपोशों तक पहुंच सकती है।