प्रयागराज । यूपी में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के थाने से लापता बीएचयू छात्र शिव त्रिवेदी के मामले में लापरवाह पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों अब तक कार्रवाई न होने पर आश्चर्य जताते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकार विवेचना में लापरवाही बरतने के दोषी पुलिस अधिकारियों के अभियोजन की स्वीकृति के मामले में 15 दिन में निर्णय ले। याचिका की अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी।
कोर्ट ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि जिस सरकार को अभियोग चलाने की अनुमति देनी है वही सक्षम प्राधिकारी को पत्र लिख रही हैं। कोर्ट के पूर्व निर्देश के अनुपालन में सरकार ने हलफनामे में बताया है कि अभियोग चलाने की अनुमति के लिए सरकार को लिखा है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली तथा न्यायमूर्ति विकास की खंडपीठ ने अधिवक्ता सौरभ की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में कहा गया कि बीएचयू छात्र शिव त्रिवेदी को फरवरी 2020 मे लंका थाने की पुलिस पकड़ कर ले गई। वहां से संदेहास्पद परिस्थिति में वह लापता हो गया। जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई। इसी दौरान छात्र की लाश एक तालाब में मिली। कहा गया कि लंका थाने के 8 पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज की गई। किंतु अभियोजन की अनुमति में देरी की जा रही है। घटना के 6 माह बाद जांच शुरू की गई है। जबकि छात्र के शव का पोस्टमार्टम बीएचयू में ही हुआ था। फिर भी पुलिस उसका पता लगाने में नाकाम रही।