संसदीय चुनाव के रोचक इतिहासों में प्रत्याशियों की संख्या ने भी कई तरह की रोचकता प्रदान की है। वर्ष 1996 के चुनाव में सबसे अधिक 32 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे। वहीं वर्ष 1977 में केवल तीन उम्मीदवार थे। इस बार चुनावी समर में भाजपा से संतोष पांडेय और कांग्रेस से पूर्व सीएम भूपेश बघेल समेत कुल 15 प्रत्याशी मैदान में हैं।वर्ष 1962 में राजनांदगांव लोकसभा सीट के लिए पहली बार हुए चुनाव में मात्र पांच प्रत्याशियों के बीच ही मुकाबला हुआ था। पिछले चुनाव में 14 प्रत्याशियों ने भाग्य अजमाया था। संख्या के मामले में 1996 का चुनाव रिकार्ड है। तब कांग्रेस से तीन बार के सांसद शिवेंद्र बहादूर सिंह और भाजपा के अशोक शर्मा के बीच मुख्य मुकाबला था। तब चार लाख 98 हजार 311 मतदाताओं ने मतदान किया था।

दो लाख 22 हजार 616 वोट हासिल कर भाजपा के अशोक शर्मा ने यह चुनाव जीता था। कांग्रेस को छोड़ बाकी 30 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। उस चुनाव में भाजपा से अशोक शर्मा, कांग्रेस से शिवेंद्र बहादुर सिंह, एआइआइसी से बलबीर खनूजा, बीएसपी से अशोक साहू, छमुमो से भीमराव बागड़े भी प्रत्याशी थे।वर्ष 1962 में हुए राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र के पहले आम चुनाव में कांग्रेस के बीरेंद्र बहादुर सिंह के साथ ही पीएसपी के श्यामनारायण कश्मीरी, सीपीआइ के गंगा चौबे, जनसंघ के शिवकुमार शास्त्री और आरपी के हरिश्चंद्र ऋषि मैदान में थे। इनमें 76012 मत हासिल कर कांग्रेस के बीरेंद्र बहादुर सिंह ने जीत हासिल की थी।